झाँसी की रानी (कविता)
कवि | सुभद्रा कुमारी चौहान |
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मूल शीर्षक | झाँसी की रानी |
देश | भारत |
भाषा | हिंदी |
विषय | रानी लक्ष्मीबाई |
ऑनलाइन पढ़ें | विकीस्रोत पर |
झाँसी की रानी हिंदी भाषा की कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी गयी एक कविता है। कविता का विषय 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाली, झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई और उनके द्वारा अंग्रेजों के साथ लड़ा गया युद्ध है। वीर रस की यह कविता स्वतंत्रता आंदोलन में प्रेरणास्रोत बनी और मंच से पाठ, प्रभात-फेरियों में गाये जाने इत्यादि के अलावा अब भी विभिन्न राज्यों के विद्यालयी पाठ्यक्रम में शामिल है।[1][2][3]
झाँसी की रानी एक वीर रस की कविता है जो उस दौर में लिखी गयी जब हिंदी भाषा के साहित्य में छायावाद मुखर था।[4] कविता तत्कालीन बुंदेली लोकगीत को आधार बना कर लिखी गयी थी[5] और इसे भारतीय राष्ट्रवाद की हिंदी साहित्य में सबल अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है।[6][7] इसे कवयित्री द्वारा झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के प्रति एक श्रद्धांजलि के रूप में भी देखा जाता है।[8]
परिचय
[संपादित करें]कविता का हर अंतरे का अंत इस कथन से होता है कि लेखिका ने रानी लक्ष्मीबाई की कथा बुंदेलों से सुनी है। कैसे वो राजवंश में जन्मीं और बाल्यकाल से ही अत्यंत वीरांगना थीं। वे शिवाजी जैसे वीरों की उपासक थीं। अल्पायु में ही विवाह करके वे झाँसी आ गईं। परंतु राजा के निःसंतान मृत्यु से वे शोकाकुल हो गईं परंतु दूसरी ओर डलहाॅजी बहुत प्रसन्न क्योंकि अब वो झाँसी पर अधिकार कर सकता था। लेखिका स्वतंत्रता संग्राम के दूसरे महावीरों को स्मरण और राज घरानों की अवस्था का विवरण करती है। दूसरी ओर रानी काना और मंदरा सखियों के साथ वीरतापूर्वक युद्ध कर और वाॅकर को हराकर ग्वालियर की ओर चल पड़तीं हैं परंतु सिंधिया के द्रोह के कारण उन्हें ग्वालियर छोड़ना पड़ता है। उसके पश्चात उन्होंने किसी प्रकार स्मिथ को भी हरा दिया। परंतु उनके घोड़े के अकस्मात् मृत्यु हो जाती है। ह्यूरोज़ से लड़कर वे आगे चल देतीं हैं। परंतु शत्रु के घर आने के कारण उन पर वार पर वार होने लगते हैं। आगे एक बड़ा नाला आ गया। उन्होंने सोचा कि वो उसे पार कर लेंगी। परंतु घोड़ा नया था, वो उस नाले को पार नहीं कर पाया और नाले में गिरकर रानी की मृत्यु हो जाती हैं। उसके पश्चात् लेखिका रानी को श्रद्धांजलि देती है।
झांसी की रानी कविता
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सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Pioneer, The (15 जून 2017). "Jhansi Ki Rani 'Khoob ladi Mardani' staged". The Pioneer (अंग्रेज़ी में). मूल से 20 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 जनवरी 2019.
- ↑ "'खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी' कविता अब स्कूलों के पाठ्यक्रम में नहीं". Dainik Bhaskar. 7 अक्टूबर 2017. मूल से 20 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 जनवरी 2019.
- ↑ "अगले साल से सिलेबस में लागू होगा". Dainik Bhaskar. 8 अक्टूबर 2016. मूल से 20 जनवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 जनवरी 2019.
- ↑ Viśvamitra Upādhyāya (1989). Bhāratīya krāntikārī āndolana aura Hindī sāhitya. Pragatiśīla Jana Prakāśana.
- ↑ Harleen Singh (9 June 2014). The Rani of Jhansi: Gender, History, and Fable in India. Cambridge University Press. पपृ॰ 146–. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-107-04280-3.
- ↑ Sushma Narain (1966). Bhāratīya rāshṭravāda ke vikāsa kī Hindī-sāhitya meṃ abhivyakti. Hindī Sāhitya Saṃsāra. पपृ॰ 170-.
- ↑ Ājakala. 59. Prakāśana Vibhāga, Paṭiyālā Hāusa. 2007. पृ॰ 6.
- ↑ Pareek, Shabdita (15 फरवरी 2016). "This Poem Capturing Jhansi Ki Rani’s Bravery Is A Timeless Tribute To The Warrior Queen". ScoopWhoop (अंग्रेज़ी में). मूल से 9 जनवरी 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 जनवरी 2019.
- ↑ "कविता कोश". मूल से 13 नवंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मई 2020.
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- सुभद्रा कुमारी चौहान, हिंदी समय पर।